बाहरी लोगों के आगमन से उत्तराखंड में बढ़ती अपराधिक घटनाएँ: संस्कृतियों का टकराव?

उत्तराखंड, जो कभी ‘देवभूमि’ के नाम से जाना जाता था, आज बढ़ते अपराधों के कारण चर्चा में है। हाल के वर्षों में राज्य में बाहरी लोगों का आगमन तेजी से बढ़ा है, और इसके साथ ही विभिन्न संस्कृतियों के बीच टकराव तथा अपराधिक घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है। पुलिस रिकॉर्ड्स के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में चोरी, धोखाधड़ी, महिलाओं के प्रति हिंसा और संपत्ति संबंधी विवादों में बढ़ोतरी हुई है।

बाहरी आबादी और सामाजिक तनाव

उत्तराखंड में पर्यटन, रोजगार और बेहतर जीवन की तलाश में बड़ी संख्या में बाहरी राज्यों के लोग आकर बस रहे हैं। हालांकि, स्थानीय लोगों का आरोप है कि इनमें से कुछ लोगों ने यहाँ के शांतिपूर्ण वातावरण को भंग किया है। देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे शहरों में अब अक्सर सांस्कृतिक मतभेद और असामाजिक गतिविधियाँ देखने को मिलती हैं।

एक स्थानीय निवासी, मोहन सिंह नेगी, कहते हैं – “पहले हमारे गाँव-शहरों में शांति थी, लेकिन अब बाहर से आए कुछ लोगों ने यहाँ अवैध कब्जे, नशाखोरी और छोटे-मोटे अपराधों को बढ़ावा दिया है। हमारी सरल संस्कृति और इनकी जीवनशैली में टकराव हो रहा है।”

पुलिस की चुनौतियाँ

पुलिस अधिकारियों का मानना है कि बाहरी लोगों की पहचान और उन पर निगरानी रखना मुश्किल हो रहा है। कई मामलों में तो अपराधी दूसरे राज्यों से आकर यहाँ गैरकानूनी काम करके फरार हो जाते हैं। पुलिस महानिदेशक (DGP) ने कहा – “हमने संदिग्ध लोगों पर नजर रखने के लिए विशेष टीमें बनाई हैं, लेकिन स्थानीय सहयोग भी जरूरी है।”

संस्कृतियों का टकराव या सामाजिक उपेक्षा?

समाजशास्त्रियों का मत है कि यह समस्या सिर्फ संस्कृतियों के टकराव की नहीं, बल्कि शहरीकरण और रोजगार के अभाव में पैदा हुई सामाजिक उपेक्षा की भी है।

हाल के प्रमुख मामले: संस्कृतियों का टकराव और अपराध

1. देहरादून में भूमि अतिक्रमण और हिंसक झड़पें

हाल ही में, देहरादून के मोथरोवाला इलाके में स्थानीय लोगों और बाहरी बसने वालों के बीच भूमि अतिक्रमण को लेकर हिंसक झड़पें हुईं। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि बिहार और उत्तर प्रदेश से आए कुछ लोगों ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है। इस मामले में दोनों पक्षों के बीच पथराव और लाठीचार्ज हुआ, जिसमें कई लोग घायल हुए।

2. हरिद्वार में धार्मिक स्थलों के पास चोरी और लूटपाट

हरिद्वार जैसे धार्मिक शहर में भी बाहरी अपराधियों की गतिविधियाँ बढ़ी हैं। पिछले महीने, हर की पौड़ी के नजदीक एक होटल में सुबह के समय सशस्त्र डकैती हुई, जिसमें बाहर से आए अपराधियों ने पर्यटकों को लूट लिया। पुलिस का मानना है कि यह गैंग उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों से सक्रिय है और धार्मिक स्थलों पर भीड़ का फायदा उठाकर चोरी करता है।

3. ऋषिकेश में ड्रग्स और अवैध गतिविधियों का बढ़ता कारोबार

ऋषिकेश, जो योग और आध्यात्म के लिए प्रसिद्ध है, वहाँ भी बाहरी लोगों द्वारा नशीले पदार्थों की तस्करी के मामले सामने आए हैं। पिछले साल, एक अंतरराज्यीय गैंग का पर्दाफाश हुआ, जो हिमाचल प्रदेश और दिल्ली से ड्रग्स लाकर यहाँ युवाओं को बेच रहा था। स्थानीय युवाओं के नशे की लत में फंसने के बाद समाज में असंतोष बढ़ा है।

4. उधमसिंह नगर में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध

उधमसिंह नगर जिले में, जहाँ बंगाल, बिहार और नेपाल से बड़ी संख्या में लोग काम की तलाश में आते हैं, महिलाओं के खिलाफ छेड़छाड़ और यौन हिंसा के मामले बढ़े हैं। पिछले महीने, रुद्रपुर में एक नेपाली मजदूर द्वारा एक स्थानीय लड़की के साथ छेड़छाड़ की घटना के बाद स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और बाहरी मजदूरों के खिलाफ नारेबाजी की।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया: “हमारी शांति भंग हो रही है”

स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता मीनाक्षी रावत कहती हैं – “हमारे यहाँ सद्भावना थी, लेकिन अब कुछ बाहरी तत्वों ने अपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया है। हमारी संस्कृति और इनकी जीवनशैली में टकराव हो रहा है।”

पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई

उत्तराखंड पुलिस ने इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए “सुरक्षित उत्तराखंड अभियान” शुरू किया है, जिसमें:

  • अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती
  • सीसीटीवी कैमरों का विस्तार
  • संदिग्ध प्रवासियों की जाँच के लिए विशेष ड्राइव

आगे की राह

राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाते हुए “सुरक्षित उत्तराखंड अभियान” शुरू किया है, जिसमें अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती और सीसीटीवी निगरानी को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही, स्थानीय और प्रवासी समुदायों के बीच सामंजस्य बनाने के लिए सामुदायिक कार्यक्रमों की योजना भी बनाई जा रही है।

उत्तराखंड की पहचान उसकी प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विरासत से है, लेकिन अगर समय रहते इन चुनौतियों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह छवि धूमिल हो सकती है।

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