उत्तराखंड जैसे ही प्रगति की अपनी यात्रा में एक और मील का पत्थर पार करता है, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक परिवर्तनकारी नेतृत्व के प्रतीक के रूप में उभर कर सामने आए हैं। मार्च 2025 में अपने दूसरे कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे करते हुए, धामी ने राज्य में शासन को नई परिभाषा दी है, जिसमें दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प और उत्तराखंड की जनता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का समावेश है। पिछले तीन वर्षों में उनका कार्यकाल असाधारण रहा है, जिसमें साहसिक सुधार, बुनियादी ढांचे का विकास और राज्य के युवाओं, महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सशक्त बनाने पर निरंतर ध्यान दिया गया है। आज, जब हम उनकी उपलब्धियों पर विचार करते हैं, तो यह स्पष्ट है कि धामी ने न केवल वादों को पूरा किया है, बल्कि भारत में नेतृत्व के लिए एक नया मानदंड भी स्थापित किया है।
एक ऐतिहासिक कदम: समान नागरिक संहिता का कार्यान्वयन
धामी के कार्यकाल का सबसे बड़ा गहना उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का कार्यान्वयन है, जिसने इसे देश का पहला ऐसा राज्य बना दिया है जिसने इस ऐतिहासिक सुधार को अपनाया। फरवरी 2024 में विधानसभा द्वारा पारित यूसीसी विधेयक को लागू करने के साथ, धामी ने 2022 के अपने चुनावी वादे को पूरा किया। यह कदम सामाजिक समानता को बढ़ावा देने और सभी नागरिकों के लिए एक समान कानूनी ढांचा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यूसीसी के तहत लिव-इन संबंधों का अनिवार्य पंजीकरण और महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा जैसे प्रावधान शामिल हैं, जिसे धामी ने “संरक्षण, न कि हस्तक्षेप” के रूप में वर्णित किया है।
बुनियादी ढांचे में क्रांति
पिछले तीन वर्षों में, धामी ने बुनियादी ढांचे के विकास में अभूतपूर्व प्रगति की है। चारधाम सड़क परियोजना के तहत 2022 से 2025 तक 889 किलोमीटर सड़कों का निर्माण और उन्नयन किया गया, जिससे तीर्थयात्रियों की संख्या में 15% की वृद्धि हुई और 2024 में 56 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे। दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे, जिसका निर्माण 2025 में पूरा होने की उम्मीद है, यात्रा समय को 6 घंटे से घटाकर 2.5 घंटे कर देगा। इसके अलावा, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के पहले चरण में 125 किलोमीटर में से 70 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है, और तनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन का सर्वेक्षण समाप्त हो गया है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सोनप्रयाग से केदारनाथ और गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक दो प्रमुख रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनकी लागत क्रमशः 1,200 करोड़ रुपये और 800 करोड़ रुपये है।
युवाओं और महिलाओं का सशक्तिकरण
धामी ने युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। पिछले तीन वर्षों में, सख्त नकल विरोधी कानून लागू होने के बाद 20,000 से अधिक सरकारी नौकरियां प्रदान की गई हैं, जो भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने का प्रमाण है। 2023-24 में बेरोजगारी दर में 4.4% की कमी आई, जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। इसके अलावा, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए छात्रों को 5,000 रुपये की वित्तीय सहायता और स्नातकों के लिए रोजगार-उन्मुख प्रशिक्षण की घोषणा की गई है। महिलाओं के लिए, सरकारी नौकरियों में 30% क्षैतिज आरक्षण लागू किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 2022 से 2025 तक 12,000 से अधिक महिलाओं को नौकरी मिली। “हाउस ऑफ हिमालय” ब्रांड के तहत स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने से 50,000 से अधिक महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर मिले हैं।
पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास
धामी ने पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी है। 2022 से 2025 तक वन क्षेत्र में 2.5% की वृद्धि दर्ज की गई, जो 24,305 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 24,913 वर्ग किलोमीटर हो गया है। नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश 2023 के वैश्विक निवेशक सम्मेलन में 3.55 लाख करोड़ रुपये के एमओयू के साथ बढ़ा, जिसमें से 80,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू हो चुकी हैं। नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) सूचकांक 2023-24 में उत्तराखंड ने देश में पहला स्थान हासिल किया, जो पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन को दर्शाता है।
आपदा प्रबंधन में कुशलता
उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाएं एक बड़ी चुनौती रही हैं, लेकिन धामी के नेतृत्व में आपदा प्रबंधन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। 2023 में जोशीमठ संकट के दौरान, 1,500 से अधिक परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया और 200 करोड़ रुपये की राहत राशि प्रदान की गई। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) को मजबूत करने के लिए 112 कर्मियों को 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया। आपदा-प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए 1,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।
आर्थिक प्रगति और निवेश
2023 में देहरादून में आयोजित वैश्विक निवेशक सम्मेलन में 3.55 लाख करोड़ रुपये के निवेश समझौते हुए, जिसमें से 80,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर काम शुरू हो चुका है। इससे 50,000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए हैं। राज्य की जीएसडीपी 2022-25 के दौरान 7.5% की औसत वार्षिक दर से बढ़ी है, जो राष्ट्रीय औसत 6.5% से अधिक है। समान नागरिक संहिता से लेकर बुनियादी ढांचे के विकास, युवा सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण तक, उनके नेतृत्व ने राज्य को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
ख़ासकर उत्तराखंड का युवा वर्ग मुख्यमंत्री से बहुत उम्मीदें लगा कर बैठा है और लगातार भर्ती परीक्षा और परदर्शिता से युवाओं का मुख्यमंत्री से विश्वास बढ़ा है।