राज्य के विवर्तनिक रूप से सक्रिय हिमालयी क्षेत्र की भूतापीय ऊर्जा का दोहन करने की एक बड़ी पहल के रूप में, उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड भूतापीय नीति-2025 तैयार की है। बुधवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस नीति को मंजूरी दी गई।
इस नीति का उद्देश्य आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टि से व्यवहार्य भूतापीय संसाधनों की पहचान हेतु वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान को प्रोत्साहित करना है। इसमें भूतापीय स्थलों के विकास और उपयोग तथा विद्युत उत्पादन, तापन एवं शीतलन प्रणालियों, जल शोधन और सामुदायिक विकास में उनके उपयोग की भी परिकल्पना की गई है। अधिकारियों का दावा है कि यह नीति कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भी मदद करेगी और राज्य की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगी।
यहाँ यह उल्लेख करना उचित होगा कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, देहरादून ने उत्तराखंड में लगभग 40 ऐसे स्थलों की पहचान की है जहाँ भूतापीय ऊर्जा का दोहन किया जा सकता है। प्रारंभिक अध्ययनों से पता चलता है कि राज्य में ऐसे क्षेत्र बद्रीनाथ और चमोली जिले के तपोवन क्षेत्र में केंद्रित हैं।
इस वर्ष जनवरी में, उत्तराखंड सरकार ने आइसलैंड स्थित कंपनी वर्किस कंसल्टेंसी इंजीनियर्स के साथ भूतापीय ऊर्जा की खोज के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे।
नई नीति उन सभी भूतापीय परियोजनाओं को कवर करेगी जिन्हें 30 वर्षों की अवधि के लिए आवंटित किया जाएगा। नीति का कार्यान्वयन ऊर्जा विभाग द्वारा उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास प्राधिकरण (उरेडा) और यूजेवीएन लिमिटेड के सहयोग से किया जाएगा।
एक महत्वपूर्ण निर्णय में, कैबिनेट ने उन लाभार्थियों को विधवा और वृद्धावस्था पेंशन के निरंतर वितरण के प्रस्ताव को मंजूरी दी जिनके बच्चे 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुके हैं।
एक अन्य निर्णय में, कैबिनेट ने लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत पुलों की क्षमता बढ़ाने के लिए एक परियोजना प्रबंधन इकाई (पीएमयू) स्थापित करने की योजना को मंजूरी दी। बैठक में सतर्कता विभाग में 20 नए पद सृजित करने का भी निर्णय लिया गया।
कैबिनेट ने राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी के लिए सेवाओं और सामग्री की आपूर्ति हेतु सात कंपनियों को सूचीबद्ध करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।कैबिनेट ने उत्तराखंड राज्य खनिज अन्वेषण ट्रस्ट विनियम 2025 और उत्तराखंड जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट विनियम 2025 की स्थापना के प्रस्तावों को भी मंजूरी दी। राज्य कर विभाग के तहत एक डिजिटल फोरेंसिक प्रयोगशाला की स्थापना के प्रस्ताव को भी कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया।