उत्तराखंड के मुनस्यारी क्षेत्र में चीन सीमा को जोड़ने वाली धापाबैंड-मिलम मोटर मार्ग पर भूस्खलन की गंभीर स्थिति बनी हुई है। जिमिघाट के पास बीते पांच दिनों से लगातार चट्टानें दरक रही हैं, जिससे सड़क का एक बड़ा हिस्सा ध्वस्त हो गया है। भारी बोल्डरों की लगातार बरसात के चलते सड़क खोलना सीमा सड़क संगठन (BRO) के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
सड़क पर मलबा हटाने का कार्य एकमात्र पोकलैंड मशीन से किया जा रहा है, लेकिन दरकती पहाड़ी से लगातार गिर रहे विशाल बोल्डरों के कारण राहत कार्य धीमी गति से चल रहा है। स्थानीय निवासियों ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अतिरिक्त मशीनरी भेजने और पहाड़ी के स्थायी ट्रीटमेंट की माँग की है।
बोल्डर हटते ही और गिर जाते हैं
सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों के अनुसार, दरकी हुई पहाड़ी में कई बड़े बोल्डर अभी भी अटके हुए हैं, जो कभी भी गिर सकते हैं। इसके चलते काम अत्यधिक सावधानी से किया जा रहा है। 24 घंटे में जितने बोल्डर हटाए जाते हैं, उससे कहीं अधिक फिर से गिरकर सड़क पर जमा हो जाते हैं, जिससे सड़क खोलने का प्रयास लगातार विफल हो रहा है।
पूर्व में हो चुका है जानलेवा हादसा
इसी स्थान पर दो वर्ष पूर्व भी एक बड़ा हादसा हो चुका है, जब मलबा हटाते समय एक पोकलैंड मशीन और उसका ऑपरेटर दरकती पहाड़ी से गिरे बोल्डरों की चपेट में आकर दब गए थे। यह स्थान मानसून के दौरान हर साल सक्रिय भूस्खलन क्षेत्र में बदल जाता है।
सीमा क्षेत्र से संपर्क भंग
सड़क बंद होने से सीमा क्षेत्र के गांवों का संपर्क कट गया है, जिससे स्थानीय निवासियों को आपूर्ति, आवागमन और स्वास्थ्य सेवाओं में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्रवासियों ने BRO और प्रशासन से अपील की है कि इस संवेदनशील क्षेत्र में जल्द से जल्द वैकल्पिक उपाय किए जाएं और मशीनरी की संख्या बढ़ाई जाए।