टनकपुर-तवाघाट हाईवे बंद ,आदि कैलास यात्रियों सहित 400 लोग फंसे

टनकपुर-तवाघाट हाईवे बंद ,आदि कैलास यात्रियों सहित 400 लोग फंसे

धारचूला में एलागाड़ के पास भूस्खलन से तीन घाटियां अलग-थलग पड़ गईं जिससे ग्रामीणों का धारचूला से संपर्क टूट गया और बीमारों को इलाज मिलने में दिक्कत हुई। भारत-नेपाल झूला पुल के पास मलबा गिरने से पुल को खतरा है और मलबा हटाने में परेशानी हुई। कई गांवों का तहसील मुख्यालय से संपर्क भंग हो गया है जिससे बाजार में चहल-पहल कम रही।

टनकपुर-तवाघाट हाईवे पर सोमवार रात एलागाड़ के पास चट्टान दरकने से बंद मार्ग मंगलवार रात साढ़े आठ बजे छोटे वाहनों के लिए खोल दिया गया था। सुबह से ही मार्ग पर यातायात सुचारू है। धारचूला से आदि कैलास यात्रियों का दर्शनों के लिए जाने का सिलसिला जारी है।मार्ग बंद होने से धारचूला में रुका केएमवीएन संचालित यात्रा दल गुंजी पहुंच गया है। दोपहर तक करीब 500 से अधिक यात्री गुंजी रवाना हो चुके है। 100 से अधिक वाहन रवाना हुए हैं। मंगलवार को बूदी में फंसे यात्री भी धारचूला पहुंचने के बाद अपने गंतव्य को जा रहे हैं।बीआरओ की ओर से मार्ग से मलबा हटाने का काम जारी है। मलबे व बोल्डर को सड़क से नीचे ओर नहीं फेंका जा सकता है, क्योंकि इससे नीचे झूला पुल को खतरा हो सकता है। इसलिए मलबा दूर ले जाकर फेंकने में वक्त लग रहा है। शाम तक मलबा हटा लेने पर ही मार्ग भारी वाहनों के लिए खुल सकेगा।

हाईवे पर धारचूला से आठ किमी दूर एलागाड़ के पास भारी भूस्खलन से तहसील का दो तिहाई क्षेत्र अलग-थलग पड़ा रहा। बीमार ग्रामीण उपचार के लिए धारचूला तक नहीं पहुंच सके। तीन घाटियों का संपर्क भंग रहा। इस वर्ष की आदि कैलास यात्रा में पहला व्यवधान आया।भारत-नेपाल को जोड़ने वाले अंतरराष्ट्रीय झूला पुल के पास हुए इस भूस्खलन के मलबे के निस्तारण को लेकर समस्या पैदा हो गई। एलगाड़ में जिस स्थान पर चट्टान टूटकर विशाल बोल्डर गिरे हैं उससे कुछ मीटर नीचे काली नदी पर भारत और नेपाल को जोड़ने वाला अंतरराष्ट्रीय झूला पुल है। यह पुल लकड़ी का है।

हल्का मलबा भी पुल पर गिरने से पुल के क्षतिग्रस्त होने के आसार हैं। जिसके चलते एलागाड़ में विशाल बोल्डरों को तोड़ कर मलबे के निस्तारण की समस्या बनी हुई है। मार्ग खुलने में विलंब का एक प्रमुख कारक यह भी बना है।वहीं एलागाड़ से आगे स्यांकुरी, खेला्र, तवाघाट, तवाघाट से दारमा मार्ग पर छिरकिला, खेत गगुंवा, जम्कू , सुमदुंग, उमचिया, सोबला, न्यू सुवा जैसे दर्जनों गांव और उच्च हिमालयी दारमा के 13 गांव, कंच्योती से चौदास के चौदह गांव, व्यास मार्ग में तवाघाट से आगे तीनतोला, पांगला, गर्बाधार्र, गाला, जिप्ती सहित दो दर्जन गांव व व्यास घाटी के सात गांवों का संपर्क भंग रहा।इन सभी गांवों का बाजार, अस्पताल, बैंक, डाकघर सभी तहसील मुख्यालय धारचूला है। प्रतिदिन भारी संख्या में ग्रामीण तहसील मुख्यालय पहुंचते हैं, जिसके चलते बाजार में भीड़ भाड़ रहती है।मंगलवार को ग्रामीणों के नहीं पहुंचने से बाजार में स्थानीय लोग कम और मार्ग बंद होने से फंसे आदि कैलास यात्री और पर्यटक ही नजर आए। वर्तमान में तवाघाट तक मार्ग सुधारीकरण और चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है। एक तरफ कार्य चल रहा है दूसरी तरफ आदि कैलास यात्रा के साथ पंचाचूली ग्लेशियर ट्रैक भी संचालित है। एक ही वर्षा में जो हुआ है उसे लेकर आने वाले मानसून काल की स्थिति को लेकर चर्चा भी व्याप्त है।

आधे यात्री बूंदी में रुके, कइयों को किया रेस्क्यू

धारचूला। एलागाड़ में मार्ग बंद होने से फंसे यात्रियों में आधे यात्री बूंदी में रुके हैं। कई यात्रियों और पर्यटकों को पुलिस और एसएसबी ने बोल्डरों पर चढ़कर रेस्क्यू कर धारचूला पहुंचा दिया है। घटना में घायल हुए एसएसबी जवान का हालचाल लेने एसएसबी के डीआइजी सुधांशु नौटियाल अल्मोड़ा से धारचूला पहुंचे।एसएसबी डीडीहाट के सेनानी के साथ सीएचसी धारचूला जाकर जवान के हालचाल लिए। उन्होंने पूर्व सीएमओ और हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. जेएस पांगती से जवान के स्वास्थ्य को लेकर चर्चा की। डा. पांगती ने बताया कि घायल जवान खतरे से बाहर है। पैर में आई चोट की जांच की जा रही है। डीआइजी ने घायल जवान का हौसला बढ़ाया।

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