यहां जाने से पहले सोच लें, खर्च हो सकते हैं ज्यादा पैसे; अल्मोड़ा-दिल्ली समेत पांच बस सेवाएं हुईं ठप

यहां जाने से पहले सोच लें, खर्च हो सकते हैं ज्यादा पैसे; अल्मोड़ा-दिल्ली समेत पांच बस सेवाएं हुईं ठप

जिला मुख्यालय से रविवार को उत्तराखंड परिवहन निगम की पांच सेवाएं ठप रहीं। इससे लोगों को महंगा किराया देकर वैकल्पिक साधनों से गंतव्य को रवाना होना पड़ा। रविवार को अल्मोड़ा-टनकपुर अल्मोड़ा-लमगड़ा-दिल्ली अल्मोड़ा-मासी अल्माड़ा-बेतालघाट-दिल्ली के साथ ही सायंकालीन अल्मोड़ा-देहरादून सेवाएं संचालित नहीं हुई। पर्यटन सीजन में भी बस सेवाओं में सुधार नहीं होने से लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

जिला मुख्यालय से रविवार को उत्तराखंड परिवहन निगम की पांच सेवाएं ठप रहीं। इससे लोगों को महंगा किराया देकर वैकल्पिक साधनों से गंतव्य को रवाना होना पड़ा। रविवार को अल्मोड़ा-टनकपुर, अल्मोड़ा-लमगड़ा-दिल्ली, अल्मोड़ा-मासी, अल्माड़ा-बेतालघाट-दिल्ली के साथ ही सायंकालीन अल्मोड़ा-देहरादून सेवाएं संचालित नहीं हुई।

लोगों में आक्रोश

पर्यटन सीजन में भी बस सेवाओं में सुधार नहीं होने से लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उत्तराखंड संसाधन पंचायत के संयोजक ईश्वरी दत्त जोशी ने बस सेवाओं को नियमित तौर पर संचालित किए जाने के लिए कारगर उपाय किए जाने की मांग निगम के उच्चाधिकारियों से की है।

इधर, स्टेशन इंचार्ज गीता पांडे का कहना है कि अल्मोड़ा डिपो में चालकों व परिचालकों की कमी से निगम मुख्यालय को बताया गया है। चालकों व परिचालकों की कमी दूर होने के बाद सभी स्थगित बस सेवाओं का संचालन किया जा सकेगा।

लोगों के लिए जंगलों की आग भी एक मुसीबत

मई शुरुआती दिनों में आग से धधक रहे जंगलों ने आम जन से लेकर विभाग की मुश्किलें बढ़ा दी है। रविवार को भी स्याहीदेवी, सोमेश्वर, गगास आदि स्थानों में जंगल आग से धधकते रहे। इस दौरान करीब 3.60 हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो गया।

फायर कंट्रोल रूम से मिली जानकारी अनुसार रविवार को अल्मोड़ा रेंज के अंतर्गत स्याहीदेवी के जंगल में अचानक आग धधक गई। देखते ही देखते आग ने बड़े क्षेत्र को अपने आगोश में लिया। आग तेजी से फैलता देख ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी। जिसके बाद मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया।

इधर, अब तक जिलेभर में फायर सीजन में 220.14 हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ चुका है। वहीं हर दिन जंगलों में आग लगने से वातावरण में चारों और धुंध छा गई हैं। जिससे सांस संबंधित रोगियों की दिक्कतें बढ़ते जा रही हैं। 

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